🙏 Narsingh Kavach Mantra in Hindi PDF | नृसिंह कवच मंत्र 🌺

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Narsingh Kavach Mantra in Hindi PDF | नृसिंह कवच मंत्र: नमस्कार, क्या आप भगवान विष्णु के परम शक्तिशाली अवतार, नृसिंह भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं? हिन्दू धर्म में, नृसिंह कवच मंत्र को भगवान नृसिंह की दिव्य रक्षा कवच माना जाता है. ऐसा विश्वास किया जाता है कि नृसिंह कवच मंत्र का नियमित जाप करने से भक्तों को जीवन की कठिन परिस्थितियों से सुरक्षा मिलती है.

Narsingh Kavach Mantra भगवान नृसिंह के भक्त, प्रह्लाद द्वारा रचित है. प्रह्लाद अपने पिता, हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से सुरक्षित रहने के लिए इस मंत्र का जाप करते थे. माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से भक्तों को न केवल बाहरी खतरों से, बल्कि भूत-प्रेत बाधा और ग्रहों के दुष्प्रभावों से भी रक्षा मिलती है.

यदि आप भी अपने जीवन में सुरक्षा और शक्ति का अनुभव करना चाहते हैं, तो Narsingh Kavach Mantra in Hindi PDF डाउनलोड इस ब्लॉग पोस्ट के अंत में दिया गया है. साथ ही, मैं आपको इस मंत्र के अर्थ और जप विधि के बारे में भी विस्तार से बताऊंगा.

✍🏻 Narsingh Kavach Mantra PDF Details

PDF Name:Narsingh Kavach Mantra (नृसिंह कवच मंत्र)
No. of Pages:7
LanguageHindi
Websitewww.avatarmantra.com

Narsingh Kavach Mantra PDF in Hindi

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नृसिंह कवचम वक्ष्येऽ प्रह्लादनोदितं पुरा |
सर्वरक्षाकरं पुण्यं सर्वोपद्रवनाशनं ||

सर्वसंपत्करं चैव स्वर्गमोक्षप्रदायकम |
ध्यात्वा नृसिंहं देवेशं हेमसिंहासनस्थितं ||

विवृतास्यं त्रिनयनं शरदिंदुसमप्रभं |
लक्ष्म्यालिंगितवामांगम विभूतिभिरुपाश्रितं ||

चतुर्भुजं कोमलांगम स्वर्णकुण्डलशोभितं |
ऊरोजशोभितोरस्कं रत्नकेयूरमुद्रितं ||

तप्तकांचनसंकाशं पीतनिर्मलवासनं |
इंद्रादिसुरमौलिस्थस्फुरन्माणिक्यदीप्तिभि: ||

विराजितपदद्वंद्वं शंखचक्रादिहेतिभि: |
गरुत्मता च विनयात स्तूयमानं मुदान्वितं ||

स्वहृतकमलसंवासम कृत्वा तु कवचम पठेत |
नृसिंहो मे शिर: पातु लोकरक्षात्मसंभव: ||

सर्वगोऽपि स्तंभवास: फालं मे रक्षतु ध्वनन |
नरसिंहो मे दृशौ पातु सोमसूर्याग्निलोचन: ||

शृती मे पातु नरहरिर्मुनिवर्यस्तुतिप्रिय: |
नासां मे सिंहनासास्तु मुखं लक्ष्मिमुखप्रिय: ||

सर्वविद्याधिप: पातु नृसिंहो रसनां मम |
वक्त्रं पात्विंदुवदन: सदा प्रह्लादवंदित: ||

नृसिंह: पातु मे कण्ठं स्कंधौ भूभरणांतकृत |
दिव्यास्त्रशोभितभुजो नृसिंह: पातु मे भुजौ ||

करौ मे देववरदो नृसिंह: पातु सर्वत: |
हृदयं योगिसाध्यश्च निवासं पातु मे हरि: ||

मध्यं पातु हिरण्याक्षवक्ष:कुक्षिविदारण: |
नाभिं मे पातु नृहरि: स्वनाभिब्रह्मसंस्तुत: ||

ब्रह्माण्डकोटय: कट्यां यस्यासौ पातु मे कटिं |
गुह्यं मे पातु गुह्यानां मंत्राणां गुह्यरुपधृत ||

ऊरु मनोभव: पातु जानुनी नररूपधृत |
जंघे पातु धराभारहर्ता योऽसौ नृकेसरी ||

सुरराज्यप्रद: पातु पादौ मे नृहरीश्वर: |
सहस्रशीर्षा पुरुष: पातु मे सर्वशस्तनुं ||

महोग्र: पूर्वत: पातु महावीराग्रजोऽग्नित: |
महाविष्णुर्दक्षिणे तु महाज्वालस्तु निर्रुतौ ||

पश्चिमे पातु सर्वेशो दिशि मे सर्वतोमुख: |
नृसिंह: पातु वायव्यां सौम्यां भूषणविग्रह: ||

ईशान्यां पातु भद्रो मे सर्वमंगलदायक: |
संसारभयद: पातु मृत्यूर्मृत्युर्नृकेसरी ||

इदं नृसिंहकवचं प्रह्लादमुखमंडितं |
भक्तिमान्य: पठेन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते ||

पुत्रवान धनवान लोके दीर्घायुर्उपजायते |
यंयं कामयते कामं तंतं प्रप्नोत्यसंशयं ||

सर्वत्र जयवाप्नोति सर्वत्र विजयी भवेत |
भुम्यंतरिक्षदिवानां ग्रहाणां विनिवारणं ||

वृश्चिकोरगसंभूतविषापहरणं परं |
ब्रह्मराक्षसयक्षाणां दूरोत्सारणकारणं ||

भूर्जे वा तालपत्रे वा कवचं लिखितं शुभं |
करमूले धृतं येन सिद्ध्येयु: कर्मसिद्धय: ||

देवासुरमनुष्येशु स्वं स्वमेव जयं लभेत |
एकसंध्यं त्रिसंध्यं वा य: पठेन्नियतो नर: ||

सर्वमंगलमांगल्यंभुक्तिं मुक्तिं च विंदति |
द्वात्रिंशतिसहस्राणि पाठाच्छुद्धात्मभिर्नृभि: ||

कवचस्यास्य मंत्रस्य मंत्रसिद्धि: प्रजायते |
आनेन मंत्रराजेन कृत्वा भस्माभिमंत्रणम ||

तिलकं बिभृयाद्यस्तु तस्य गृहभयं हरेत |
त्रिवारं जपमानस्तु दत्तं वार्यभिमंत्र्य च ||

प्राशयेद्यं नरं मंत्रं नृसिंहध्यानमाचरेत |
तस्य रोगा: प्रणश्यंति ये च स्यु: कुक्षिसंभवा: ||

किमत्र बहुनोक्तेन नृसिंहसदृशो भवेत |
मनसा चिंतितं यस्तु स तच्चाऽप्नोत्यसंशयं ||
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गर्जंतं गर्जयंतं निजभुजपटलं स्फोटयंतं |
हरंतं दीप्यंतं तापयंतं दिवि भुवि दितिजं क्षेपयंतं रसंतं
||

कृंदंतं रोषयंतं दिशिदिशि सततं संभरंतं हरंतं |
विक्षंतं घूर्णयंतं करनिकरशतैर्दिव्यसिंहं नमामि
||

|| इति प्रह्लादप्रोक्तं नरसिंहकवचं संपूर्णंम ||
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Narsingh Kavach Mantra in Hindi PDF Download

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FAQ – Narsingh Kavach Mantra in Hindi PDF

|| २ || नरसिंह जयंती तिथि और शुभ मुहूर्त | Narasimha Jayanti: Date and Auspicious Time

A . हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि, जो इस बार 21 मई की शाम 5:39 बजे से शुरू होकर 22 मई की शाम 6:47 बजे खत्म होगी, नरसिंह जयंती उसी पवित्र दिन को पालन ​​किया जाएगा. शाम के समय भक्त भगवान नरसिंह की पूजा-आराधना करते हैं.

|| २ || क्या हम घर पर नरसिंह की पूजा कर सकते हैं? | Can We Worship Narasimha at Home?

A . नरसिम्हा जयंती के पावन अवसर पर, नरसिंह प्रपति श्लोक का जाप, एक कवच की तरह कार्य करता है, जो हमें हर तरह की बुराइयों और मुसीबतों से बचाता है. इस श्लोक का जाप करने से शांति और समृद्धि प्राप्त होती है.

लक्ष्मी नरसिंह और योग नरसिंह की पूजा घरों में की जा सकती है, लेकिन उग्र नरसिंह की पूजा केवल मंदिरों में ही करनी चाहिए.

|| ३ || भगवान नरसिंह का शक्तिशाली मंत्र क्या है? | What is the Powerful Mantra of Lord Narasimha?

A. भगवान नरसिंह का शक्तिशाली मंत्र:
|| ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम् ||

|| ४ || भगवान नरसिंह को क्या चढ़ाया जाता है? | What is Offered to Lord Narasimha?

A. भगवान नरसिंह, भगवान विष्णु का एक उग्र रूप हैं, जिन्होंने प्रह्लाद भक्त की रक्षा के लिए हिरण्यकश्यपु का वध किया था. भगवान नरसिंह की पूजा भक्तों द्वारा विभिन्न प्रकार की भोग सामग्री अर्पित करके की जाती है.

|| समग्री सूची ||
🔴 फल: भगवान नरसिंह को केला, नारियल, संतरा, मौसमी, अनार, और आंवला जैसे फल चढ़ाए जाते हैं.
🔴 फूल: तुलसी, कमल, गुलाब, और चंपा जैसे फूल भगवान नरसिंह को प्रिय हैं.
🔴 मिठाई: भगवान नरसिंह को लड्डू, पेड़ा, और रसगुल्ला जैसी मिठाइयाँ चढ़ाई जाती हैं.
🔴 पान: भगवान नरसिंह को सुपारी, लौंग, और इलायची युक्त पान का भोग लगाया जाता है.
🔴 नारियल जल: भगवान नरसिंह को ताजा नारियल जल अर्पित किया जाता है.
🔴 अन्य: भगवान नरसिंह को चंदन, कपूर, और घी का भोग भी लगाया जाता है.

|| विशेष भोग: ||
🔴 रक्त चंदन: भगवान नरसिंह को रक्त चंदन का भोग अत्यंत प्रिय माना जाता है.
🔴 नारियल: भगवान नरसिंह को नारियल फोड़कर उसके जल से अभिषेक करना भी एक विशेष भोग माना जाता है.

|| ५ || नरसिंह भगवान की पत्नी का नाम क्या है? | What is the Name of Lord Narasimha’s Wife?

A. पौराणिक ग्रंथों में भगवान नरसिंह के विवाह का उल्लेख नहीं मिलता है. माना जाता है कि भगवान विष्णु के अवतार के रूप में नरसिंह प्रकट हुए थे, और उनका एक विशिष्ट उद्देश्य था – हिरण्यकश्यपु का वध करना और भक्त प्रह्लाद की रक्षा करना.

हालांकि, भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी को वैष्णव परंपरा में सभी विष्णु अवतारों की शक्ति का स्रोत माना जाता है. इस दृष्टिकोण से, आप कह सकते हैं कि लक्ष्मी जी परोक्ष रूप से रूप से भगवान नरसिंह की भी शक्ति या साथी थीं.

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